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चरित्र निर्माण के साथ ,आत्मविश्वास और कठोर परिश्रम आवश्यक है |

सफलता पर है के शिखर गुरुकुल से अपनी शिक्षा पूरी करके एक ब्राह्मण – पुत्र अपने घर लौटा और जैसे ही अपने घर में प्रवेश किया सबसे पहले उसने अपनी माँ को देखा | उसने पुरे आदर के साथ अपनी माँ के चरण स्पर्श किये और प्रणाम किया | इसके बाद उसकी आखें अपने पिता को खोजने लगी | उसकी माँ ने उससे पूछा – “ किसे खोज रहा है ? ” पुत्र ने कहा – “ पिता जी को ? ” माँ ने कहा – “ वह उस कमरे में बैठे कुछ पढ़ रहे हैं | ” पुत्र कमरे में गया | लेकिन पिता वहां नहीं मिले | उसने सारा घर छान डाला पर पिता नहीं मिले | माँ भी आश्चर्यचकित थी कि उसके पति कहाँ चले गए | पुत्र घर से बाहर आया | पड़ोस के घरों में पुछताछ की , फिर पुरे गाँव में खोजा – लेकिन पिता का कुछ भी पता नहीं चला |   पिता का इस प्रकार गायब होना एक रहस्य बन कर रह गया | बहुत कोशिश करने के बाद भी रहस्य की गुत्थी नहीं सुलझी | इस प्रकार एक वर्ष बीत गया | और एक दिन अचानक पिता घर आ गए |   पुत्र ने उनके इस तरह अदृश्य होने का कारन पूछा | पिता ने कहा – “ बेटे | मैंने तुम्हें घर में प्रवेश करते और अपनी माता के चरणस्पर्श करते देख लिया था | उस समय ब्रहाचर्य के तप