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Bamboo Curry - A Santhal folk tale

Wonderful Waste   कचरा भी बहुत उपयोगी हो सकता है | कैसे ? इस कहानी को पढ़कर आप खुद ही इसका पता लगाएँ |   एक बार ट्रावनकोर के महाराजा ने अपने महल में शानदार दावत का आदेश दिया | तीसरे पहर भोज से पहले महाराजा  उन पकवानों का निरीक्षण करने के लिए आए जो भोज के लिए तैयार किये जा रहे थे | उन्होंने सब्जी के बचे – खुचे टुकड़ो को देखा | उन्होंने प्रधान रसोइये से , उसके नजदीक पड़े कचरों की टोकरी की तरफ इशारा करते हुए पूछा – “ तुम सब्जी के इन बचे – खुचे टुकड़ों का क्या करोगे ? ” रसोइये ने उत्तर दिया – “ यह कचरा है | हम इसे फेंक देंगे | ” प्रधान रसोइये की बात सुनकर | महाराजा ने कठोरता से आदेश देते हुए कहा – “ तुम सब्जी के इन टुकड़ों को बर्बाद नहीं कर सकते | उन्हें उपयोग करने का कोई उपाय सोचो | ” आदेश देकर महाराजा वहाँ से चले गए | रसोइया असमंजस में पड़ गया और कुछ समय तक सब्जी के बची हुई कतरनों को घूरता रहा | फिर अचानक उसे एक विचार सुझा | उसने सब्जी के सभी टुकड़ों को लिया और उन्हें धोया और अच्छी तरह साफ किया | फिर उसने उनको लम्बी -लम्बी पट्टियों में काटकर , एक बड़े बर्तन में डालकर पकने के लिए आग

अंधे की खीर

अंधे की खीर एक अंधे को उसके साथियों ने भोजन पर आमंत्रित किया | अंधा बहुत गरीब था | खाने के लिए खीर परोसी गई | उसने अपने जीवन में कभी भी खीर नहीं खाई थी | उसने अपने पास में बैठे हुए अपने दोस्त से पूछा – “ बहुत स्वादिष्ट है , यह क्या है ? ” दोस्त ने कहा – “ यह खीर है | दूध की बनी है | यह एक प्रकार का मिष्ठान है | ” अंधे ने फिर पूछा – “ दूध कैसा होता है ? ” दोस्त ने बताया – “ उजला होता है | श्वेत होता है | ” अंधे ने कहा – “ मुझे उलझाओ मत , बात बनने के बजाय और बिगड़ती चली जा रही है |   मुझे खीर का कुछ पता नहीं , और तुमने दूध की बात कही | मुझे दूध का पता नहीं , और तुमने श्वेत की बात कही , मुझे श्वेत का भी कुछ पता नहीं | यह श्वेत क्या होता है ? ” दोस्त ने कहा – “ तुम समझे नहीं ? श्वेत मतलब जैसा बगुला होता है ” उस अंधे का दोस्त पंडित रहा होगा | आज के पंडित यानी महा अंधे | नहीं तो वह अंधे को रंग की बात समझाने नहीं बैठता | अंधे ने कहा – “ मैं अब और कुछ पुछूं , ठीक नहीं होगा , क्यों की बात मेरी समझ से दूर से दूर होती जा रही है | मैंने बगुला कभी देखा नहीं | कुछ इस तरह से सम