चाणक्य नीति शास्त्र
अध्याय - 15 चाणक्य नीति शास्त्र श्लोक : यस्य चित्तं द्रवीभूतं कृपया सर्वजन्तुषु | तस्यज्ञानेनमोक्षेणकिंजटाभस्मलेपनः अर्थ यह है कि जिसका मन सब प्राणियों पर दया से पिघल जाता है , उसको ज्ञान से , मोक्ष से , जटा से और विभूति के लेप से क्या | कुछ लोग लोग स्वाभाव से ही दयावान होते है | जिनका मन दूसरो के कष्ट देखकर दया से भर जाता है | ऐसे लोगो तो ज्ञान प्राप्ति की आवश्यकता होती है न तो कठिन तपस्या करके मोक्ष प्राप्ति की जरुरत होती है न ही जटा बढाकर साधू बनाने कऔर न ही नागा साधुओ की तरह चिता की राख अपने शरीर श्लोक : एकमेवाक्षरं यस्तु गुरुः शिष्यं प्रबोध्येत् | पृथिव्यां नास्ति तद्द्रव्यं यदद्त्त्वा चाSनृणी भवेत् || अर्थ यह ह