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आपसी सहयोग

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आपसी सहयोग  एक दिन कुम्हार को अपने आप पर घमंड हो गया | और वह कहने   लगा – “ यह घड़ा मेरा बनाया हुआ है | यह मेरी मेहनत का फल है | ” मिट्टी कुम्हार के इस घमंड को सहन न कर सकी और उसने कुम्हार से कहा – “ यदि मैं न होती , तो तुम घड़ा कैसे बनाते ? ” मिट्टी   की बात सुनकर कुम्हार चुप   रह गया | लेकिन मिट्टी की यह बात पानी को पसंद नहीं आई | उसने मिट्टी से कहा – “ मिट्टी बहन , अगर मैं न होता तो   तुम और कुम्हार क्या कर सकते थे ? ” चाक यह सब सुन रहा था | उसने तीनों से कहा - " अगर आप तीनों होते और मैं नहीं होता , तो क्या यह घड़ा बन सकता था ? " आग को इन सब की मुर्खता पर हंसी आ गई | उसने कहा – “ यह क्यों भूल जाते हो कि तुम सब होते और मैं न होती , तो क्या यह घड़ा पकता ? मेरी गर्मी के कारण ही तो यह पकता है |   ” फिर आग ने ही सबको समझाते हुए कहा कि – “ सच   तो यह है कि घड़ा हम सबके सहयोग का फल है | ” उस दिन के बाद से किसी ने भी अपने - आप पर गर्व नहीं किया | सबने यह समझ लिया कि आपसी सहयोग से कोई वास्तु बन पाती है |  

अंतिम प्रार्थना

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अंतिम प्रार्थना  एक मेढ़क था | वह रोज खेत की मेड़ पर बैठता और अपने विचारों में मस्त रहता था | इधर – उधर क्या हो रहा है , इस बात से उसे कोई मतलब नहीं था | एक दिन एक साँप चुपके से आया और मेढ़क   को निगल लिया | मरने के बाद मेढ़क स्वर्ग – लोक पहुँचा | मेढ़क ने अपने जीवन में कोई बुरा काम नहीं किया था , अतः   विधाता   उससे प्रसन्न थे | विधाता ने मेढ़क से पूछा –   ‘’ तुम्हारी जो भी इच्छा हो , बताओ | यदि तुम चाहो तो तुम्हें मनुष्य बना देता हूँ | “ मेढ़क साँप से बहुत डरता है | और साँप ने ही उसे मारा था | इसलिए विधाता की बात सुनकर , मेढ़क विधाता से बोला – ” भगवान ! मुझे साँप बना दीजिए | ” विधाता ने उसे साँप बना दिया | अब वह साँप बनकर निडर हो गया आयर खेत की मेड़ पर घूमने लगा | एक दिन एक किसान अपने पुत्र के साथ खेत की ओर जा रहा था | उसके हाथ में लाठी थी | वह आगे – आगे चल रहा था और उसका पुत्र उसके पीछे – पीछे चल रहा था | अचानक जैसे ही किसान की नजर साँप पर पड़ी किसान ने पुत्र को रुक जाने के लिए कहा | किसान ने साँप के सिर पर लाठी मारी | साँप तड़पने लगा | जब तक साँप मरा   नहीं तब तक किस

जैसा विचार वैसा मनुष्य

जैसा विचार वैसा मनुष्य  एक आदमी को एक बार सुबह नींद से जागने के बाद अचानक लगा कि उसके पेट में साँप है | ऐसा महसूस होने के कारण उसके पेट मे दर्द होने लगा | पेट में दर्द होने के कारण वह चिकित्सक के पास गया और बोला – “ डॉक्टर साहब , मेरे पेट में साँप होने की वजह से ,  मेरे पेट में दर्द हो रहा है | ” डॉक्टर साहब पेट में साँप होने की बात पहली बार सुन रहे थे | उस आदमी की बात सुनकर डॉक्टर साहब को आश्चर्य हुआ | उन्होंने उस आदमी को समझाया कि – “ देखो ! पेट में साँप नहीं होते | तुम्हें सिर्फ ऐसा लग रहा है | तुम अपने दिमाग से यह ख्याल निकाल दो कि तुम्हारे पेट में साँप है | तुम्हारे पेट का दर्द अपने आप ही ठीक हो जाएगा | ” डॉक्टर की बात सुनकर उस आदमी को संतोष नहीं हुआ | उसने कहा – “ डॉक्टर साहब , मेरे पेट में क्या है , यह मुझे ठीक से पता है | अगर आप कुछ कर सकते हैं तो कीजिए ,नहीं तो मैं किसी और डॉक्टर के पास जा रहा हूँ | ” और वह आदमी दूसरे डॉक्टर के पास पहुँच गया | इस डॉक्टर ने भी उसे वही समझाया जो पहले वाले डॉक्टर ने उसे समझाया था | मगर इस डॉक्टर ने उसकी संतुष्टि के लिए ,उसके पे