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स्वामी विवेकानंद - " शक्ति ही धर्म है | "

विवेकानंद का शिक्षा सम्बन्धी विचार विवेकानंद का विचार था कि भारत की दयनीय हालत की असली वजह शिक्षा की कमी है | वे तत्कालीन शिक्षा पद्धति के प्रबल आलोचक थें | उनका मनना था कि - अंग्रेजो की शिक्षा प्रणाली कलर्को का निर्माण करने वाला यन्त्र है | उन्होंने अपने भाषणों में गुरु – शिष्य परम्परा और गुरु की सेवा का भी उल्लेख किया था | वे गुरुकुल शिक्षा प्रणाली   के प्रबल समर्थक थें | उनका विचार था कि - भारतियों के शिक्षा शिक्षा पाठ्यक्रम में   धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन अनिवार्य होना चाहिए | शिक्षा के क्षेत्र में , उनका मूल लक्ष्य एक विशुद्ध भारतीय शिक्षा प्रणाली का निर्माण करना था | उन्होंने अंग्रेजी के अध्ययन पर विशेष जोर दिया ताकि भारतीय इस   संपर्क भाषा का लाभ उठाकर वर्त्तमान वैज्ञानिक प्रगति के बारे में जान सकें | उन्होंने कहा – “ समाज के सभी सदस्यों को संपत्ति , शिक्षा अथवा ज्ञान प्राप्त करने के लिए समान अवसर मिलने चाहिए | ” उन्होंने घोषणा किया कि – “ वे सामाजिक नियम जो इस स्वतंत्रता के विकास में आड़े आते हैं , हानिकारक हैं और उन्हें शीघ्रातिशीघ्र ख़त्म करने के लिए कदम उठाये जान