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Bamboo Curry - A Santhal folk tale

Wonderful Waste   कचरा भी बहुत उपयोगी हो सकता है | कैसे ? इस कहानी को पढ़कर आप खुद ही इसका पता लगाएँ |   एक बार ट्रावनकोर के महाराजा ने अपने महल में शानदार दावत का आदेश दिया | तीसरे पहर भोज से पहले महाराजा  उन पकवानों का निरीक्षण करने के लिए आए जो भोज के लिए तैयार किये जा रहे थे | उन्होंने सब्जी के बचे – खुचे टुकड़ो को देखा | उन्होंने प्रधान रसोइये से , उसके नजदीक पड़े कचरों की टोकरी की तरफ इशारा करते हुए पूछा – “ तुम सब्जी के इन बचे – खुचे टुकड़ों का क्या करोगे ? ” रसोइये ने उत्तर दिया – “ यह कचरा है | हम इसे फेंक देंगे | ” प्रधान रसोइये की बात सुनकर | महाराजा ने कठोरता से आदेश देते हुए कहा – “ तुम सब्जी के इन टुकड़ों को बर्बाद नहीं कर सकते | उन्हें उपयोग करने का कोई उपाय सोचो | ” आदेश देकर महाराजा वहाँ से चले गए | रसोइया असमंजस में पड़ गया और कुछ समय तक सब्जी के बची हुई कतरनों को घूरता रहा | फिर अचानक उसे एक विचार सुझा | उसने सब्जी के सभी टुकड़ों को लिया और उन्हें धोया और अच्छी तरह साफ किया | फिर उसने उनको लम्बी -लम्बी पट्टियों में काटकर , एक बड़े बर्तन में डालकर पकने के लिए आग

भगवान् बुद्ध से जुड़ी कथा - प्रकाश का प्रमाण |

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                                                           भगवान् बुद्ध - प्रकाश का प्रमाण |   एक अंधा आदमी बहुत बड़ा तार्किक था |   गाँव के सभी लोगों को तर्क में हरा चुका था | जब उसने गाँव के पंडितों को भी हरा दिया | तब सभी उसको   भगवान् बुद्ध के पास लेकर आए , और भगवान् बुद्ध से कहा –   ” हम तो हार गए | कृपया आप इसे थोड़ा समझा दीजिए | यह कहता है कि प्रकाश नहीं होता है | और हम इसे तर्क के द्वारा समझा नहीं पाते हैं | यह बहुत बड़ा तार्किक है | ऐसा तार्किक हमने पहले कभी नहीं देखा | यह कहता है कि – अगर प्रकाश होता है तो लाकर मेरे हाथ पर रख दो , मैं छू कर जान लूँगा कि प्रकाश होता है | हम लोग कहते हैं कि प्रकाश को छुआ नहीं जा सकता | तब यह कहता है कि –   प्रकाश को जरा बजाओ , मैं उसकी आवाज सुन लूं |   अगर आवाज भी न होती हो तो जरा मुझे चखाओ , मैं उसका स्वाद लेकर जान लूँगा कि प्रकाश होता है | अगर स्वाद भी नहीं होता है तब उसे मेरे नाक के करीब लाओ , मैं उसकी गंध लेकर जान लूँगा कि प्रकाश होता है | जब हम उसे यह बताते हैं कि - प्रकाश में   न तो कोई गंध होता है , न कोई स्वाद होता है , न तो उसे छु