भगवान् बुद्ध से जुड़ी कथा - प्रकाश का प्रमाण |


                                                           भगवान् बुद्ध - प्रकाश का प्रमाण |
 एक अंधा आदमी बहुत बड़ा तार्किक था |  गाँव के सभी लोगों को तर्क में हरा चुका था | जब उसने गाँव के पंडितों को भी हरा दिया | तब सभी उसको  भगवान् बुद्ध के पास लेकर आए , और भगवान् बुद्ध से कहा –  ” हम तो हार गए | कृपया आप इसे थोड़ा समझा दीजिए | यह कहता है कि प्रकाश नहीं होता है | और हम इसे तर्क के द्वारा समझा नहीं पाते हैं | यह बहुत बड़ा तार्किक है | ऐसा तार्किक हमने पहले कभी नहीं देखा | यह कहता है कि – अगर प्रकाश होता है तो लाकर मेरे हाथ पर रख दो , मैं छू कर जान लूँगा कि प्रकाश होता है | हम लोग कहते हैं कि प्रकाश को छुआ नहीं जा सकता | तब यह कहता है कि –  प्रकाश को जरा बजाओ , मैं उसकी आवाज सुन लूं |  अगर आवाज भी न होती हो तो जरा मुझे चखाओ , मैं उसका स्वाद लेकर जान लूँगा कि प्रकाश होता है | अगर स्वाद भी नहीं होता है तब उसे मेरे नाक के करीब लाओ , मैं उसकी गंध लेकर जान लूँगा कि प्रकाश होता है | जब हम उसे यह बताते हैं कि - प्रकाश में  न तो कोई गंध होता है , न कोई स्वाद होता है , न तो उसे छुआ जा सकता है और न ही उसे पीटकर कोई आवाज  या संगीत पैदा किया जा सकता है |
तब यह अंधा हँसने लगता है | और कहता है कि – तुम सब मुझे मुर्ख बना रहे हो ? तुम सब भी अंधे हो साथ ही पागल भी हो | और प्रकाश इत्यादि कुछ नहीं होता है |झूठे लोगों ने यह अफवाह फैला रखी है कि प्रकाश होता है |और इन सबका एक ही कारन है कि तुम सब यह साबित करना चाहते हो कि मैं अंधा हूँ , जबकि तुम सब अंधे हो  | आँख किसी के पास नहीं है | प्रकाश कहाँ है ? यदि है तो मुझे उसका प्रमाण दो |  
भगवान बुदध ने लोगों  की  सारी  बात सुनी  | उस अंधे आदमी ने भगवान् बुद्ध से अकड़कर  कहा – “ आपके पास कोई प्रमाण हो तो बताइए , मैं आपके प्रमाण का खंडन करूँगा | “
भगवान् बुद्ध ने कहा – “ मैं इन लोगों जैसा पागल नहीं हूँ | मुझे प्रमाण देने की जरुरत नहीं है | तुम्हें भी प्रमाण की जरुरत नहीं हैं , तुम्हें दवा की जरुरत है | तुम्हारी आंख खुलनी चाहिए यही प्रकाश का प्रमाण होता है | प्रकाश है मगर तुम्हारी आँख बंद है , तो प्रकाश नहीं  है | 
जीवक भगवान बुद्ध के एक वैद्य थे  | वे अपूर्व कुशल वैद्य थें | उस आदमी को जीवक के पास भेजा गया | जीवक ने बहुत परिश्रम किया , उसे औषधि दी लगातार छः महीने तक चिकित्सा करने के बाद | उस आदमी के आँखों का जाला कट गया | जब उसने आँख खोली तब देखा कि –  सब कुछ प्रकाश से भरा हुआ है | समस्त संसार प्रकाश से आलोकित है | वह बुद्ध के पास आया और उनके चरणों में गिर पड़ा | उसकी आँखों से ख़ुशी के आंसू बह रहे थें |
भगवान् बुद्ध ने कहा – “ अब कहो प्रमाण के सम्बन्ध  में  क्या ख्याल है ? ”
उस आदमी ने कहा – “ मुझे  क्षमा करें | मैं मेरे गाँव वालों से भी क्षमा मांगता हूँ | मैं अँधा था लेकिन मैं यह मानने के लिए  तैयार नहीं था कि मैं अँधा हूँ , और सब आँखवाले ? मेरे  इस अहंकार को बचाने का , मेरे पास सिर्फ एक ही उपाय था कि मैं यह सिद्ध करूँ कि प्रकाश नहीं है | इसलिए मैं प्रकाश नहीं है , प्रकाश नहीं है की रट लगाये रहता था | 

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