जैसा विचार वैसा मनुष्य
जैसा विचार वैसा मनुष्य
एक आदमी को एक बार सुबह नींद से जागने के बाद अचानक लगा कि उसके पेट में साँप
है |
ऐसा महसूस होने के कारण उसके पेट मे दर्द होने लगा |
पेट में दर्द होने के कारण वह चिकित्सक के पास गया और बोला – “ डॉक्टर साहब , मेरे
पेट में साँप होने की वजह से , मेरे पेट में दर्द हो रहा है | ”
डॉक्टर साहब पेट में साँप होने की बात पहली बार सुन रहे थे | उस आदमी की बात
सुनकर डॉक्टर साहब को आश्चर्य हुआ | उन्होंने उस आदमी को समझाया कि – “ देखो ! पेट
में साँप नहीं होते | तुम्हें सिर्फ ऐसा लग रहा है | तुम अपने दिमाग से यह ख्याल
निकाल दो कि तुम्हारे पेट में साँप है | तुम्हारे पेट का दर्द अपने आप ही ठीक हो
जाएगा | ”
डॉक्टर की बात सुनकर उस आदमी को संतोष नहीं हुआ | उसने कहा – “ डॉक्टर साहब ,
मेरे पेट में क्या है , यह मुझे ठीक से पता है | अगर आप कुछ कर सकते हैं तो कीजिए
,नहीं तो मैं किसी और डॉक्टर के पास जा रहा हूँ | ”
और वह आदमी दूसरे डॉक्टर के पास पहुँच गया | इस डॉक्टर ने भी उसे वही समझाया
जो पहले वाले डॉक्टर ने उसे समझाया था | मगर इस डॉक्टर ने उसकी संतुष्टि के लिए
,उसके पेट का एक्स – रे भी निकाल कर दिखाया | लेकिन वह आदमी नहीं माना |
वह फिर तीसरे , चौथे डॉक्टर के पास जाता रहा | अंत में उसे एक ऐसा
डॉक्टर मिला , जिसने कहा कि – “ आपके पेट
में तो साँप है | मुझे समझ में नहीं आता कि अब तक किसी डॉक्टर को कैसे नहीं दिखा !
”
डॉक्टर की बात सुनते ही वह जो आदमी डॉक्टर के सामने बैठा था | पूरी तरह से खड़ा
हो गया | क्योंकि उसे वह डॉक्टर मिल गया था | जिसकी तलाश में वह था |
फिर इस डॉक्टर ने उससे कहा कि – “ आपके पेट का ऑपरेशन करके , साँप को बाहर
निकालना पड़ेगा | ऑपरेशन के बिना आपके पेट का दर्द ठीक नहीं हो सकता है | ”
और ऑपरेशन का नाटक किया गया | उस आदमी को होश में आने से पहले , डॉक्टर ने एक
छोटा सा जिन्दा साँप मँगाकर बोतल में रख लिया | जब वह आदमी होश में आया तब , उसे
वह बोतल दिखाते हुए डॉक्टर ने कहा – “ ये देखो , तुम्हारे पेट से निकला हुआ साँप |
”
साँप को देखकर वह आदमी बहुत खुश हुआ और बोला – “ मैं तो कह रहा था लेकिन कोई
भी मेरी बात सुनने के लिए तैयार ही नहीं था | ” उस आदमी के पेट का दर्द भी ठीक हो गया |
लेकिन आप वास्तविकता जानते हैं | उसके पेट में पहले भी साँप नहीं था और अब भी
साँप नहीं है |
लेकिन पहले उसके पेट में दर्द था | अब उसके पेट में दर्द नहीं है |
यह एक उदाहरण है कि मनुष्य के विचार बदलते ही मनुष्य किस तरह बदल जाता है |
जैसा हमारा विचार होता है हम वैसे ही बन जाते है , अगर हम यह कहते रहें कि हम
यह काम या वह काम नहीं कर सकते हैं तब सच में ही हम वह काम नहीं कर सकेंगे |
इसलिए जरुरत है यह कहने कि - “ मैं कर सकता हूँ | ” उचित मेहनत करने के साथ ही
साथ हमें खुद को लगातार यह बताते रहना चाहिए कि – “ मैं कर सकता हूँ | ”
अगर हम नकारात्मक विचारों को पास रखकर मेहनत भी करते रहेंगे तब भी हमारी मेहनत
का पूरा लाभ हमें नहीं होगा |
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