स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़े प्रेरक प्रसंग
स्वामी
विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद
अपनी धुन के पक्के थे | एक बार उनके घर की एक गाय बिगड़ गयी और इधर – उधर भागने लगी
| स्वामी विवेकानंद उस गाय को नियंत्रित करने के लिए दौड़ पड़े और उन्होंने चाहा कि
उस गाय को अपनी बाहों में उठा कर उसे अपने नियंत्रण में ले लें , मगर उस भारी और
स्वस्थ्य गाय को वह नहीं उठा सके | तब उन्होंने मन ही मन कुछ संकल्प किया |
कुछ दिनों के बाद
उसी गाय ने एक बछड़े को जन्म दिया | स्वामी विवेकानंदजी ने उस बछड़े को अपनी बाहों
में उठा लिया और उसे उठाकर कुछ देर तक घूमते रहें | फिर उन्होंने इसे रोज का नियम
बना लिया | समय बीतता गया और समय बीतने के साथ ही बछड़ा धीरे – धीरे बैल बनता रहा |
स्वामी विवेकानंद उसे रोज उठाकर चलने का अभ्यास करते रहें | बछड़े के बढ़ने के साथ –
साथ स्वामी विवेकानंद की शारीरिक सकती भी उसी के अनुसार बढ़ती रही | कई साल बीतने
के बाद बछड़ा अब भारी भरकम बैल बन चुका था , मगर नियमित अभ्यास के कारण विवेकानंद
को उसे उठा कर घुमने में कोई परेशानी नहीं होती थी |
अब एक दिन स्वामी
विवेकानंद बछड़े की माँ यानी की उस गाय के पास गए और उसे भी उठा लिया | उस गाय को
भी उठाना उनके लिए कोई कठिन काम नहीं था |
इस तरह दृढ़ संकल्प
और वर्षों के नियमित अभ्यास के बल पर
स्वामी विवेकानंद ने अपने संकल्प को पूरा किया | अगर हम भी जीवन में कुछ पाना
चाहते हैं तो हमें भी लगातार कोशिश करते रहना होगा | सफलता एक दिन प्रयास करने से
नहीं मिलती है , एक दिन की कोशिश से सपने पुरे नहीं होते | अगर हमे अपने सपनो को ,
अपनी इच्छाओ को सच
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
Thank you