लक्ष्यों को प्राप्त करना हमारे हाथ में ही है |
एक वृद्ध आदमी था | जो एक पहाड़ी पर अकेला रहता
था | लेकिन यह वृद्ध आदमी बहुत प्रसिद्ध था | आसपास के सभी गाँवों के लोग उसके पास
अपनी समस्याओं के समाधान के लिए उसके पास पहुंचते थे |
हर कोई उसे पहचानता था | यह वृद्ध आदमी , इस बात
के लिए प्रसिद्ध था कि वह हर प्रश्न का उत्तर बता देता था | आप कोई भी सवाल क्यों
न पूछें बिना उत्तर के आप वापस नहीं जायेंगे | वह वृद्ध आदमी ऐसी प्रसिद्धि
प्राप्त कर चुका था |
एक
बार एक गाँव के दो शरारती लोगों ने इस इस वृद्ध
आदमी की परीक्षा लेने का निश्चय किया |
उन्होंने ऐसे प्रश्न पूछने का निश्चय किया कि
जिनका उत्तर देना कभी भी संभव न हो सके |
बहु
त सोच समझकर इन दो लोगों ने ऐसे तीन प्रश्न खोज
निकाले |
इन दो लोगों ने यह तय किया कि हम एक छोटी चिड़िया
को हाथ में पकड़कर अपने पीठ के पीछे रखेंगे और उस वृद्ध आदमी से पूछेंगे कि – “
हमारे हाथ में क्या है ? ”
लेकिन उस आदमी के लिए यह कोई मुश्किल सवाल नहीं
होगा और वह हमारे प्रश्न का उत्तर देगा – “ पक्षी है | ”
वे दोनों एक दूसरे से बोलें |
इसके
बाद हम दूसरा प्रश्न पूछेंगे कि – “ हमारे हाथ में कौन सा पक्षी है ? ”
वह वृद्ध आदमी जवाब देगा कि – “ गौरैया है | ”
लेकिन यह भी उसके लिए आसान सवाल होगा | वे दोनों फिर एक दूसरे से बोले |
लेकिन इसके बाद का तीसरा प्रश्न उसकी परीक्षा
लेने वाला होगा | तीसरे प्रश्न के रूप में हम पूछेंगे कि – “ यह गौरैया जिन्दा है
या मरी हुई है ? ”
अगर उसने जवाब दिया कि मरी हुई है तो जवाब गलत
होगा , क्योंकि गौरैया तो जीवित रहेगी | और अगर उसने जवाब दिया कि जीवित है तो फिर
भी जवाब गलत होगा क्योंकि तब हम उस गौरैया को वहीं पीठ के पीछे हाथ में दबाकर मार
डालेंगे | और उसे दिखाकर कहेंगे कि तुम्हारा जवाब गलत है लो देख लो यह मरी हुई है
|
वे दोनों बहुत खुश हुए क्योंकि उन्हें एक ऐसा
प्रश्न मिल गया था जिसका कोई भी उत्तर गलत होने वाला था |
फिर एक
छोटी सी गौरैया को पकड़कर | ये दोनों उस वृद्ध आदमी के पास पहुँच गए | और जैसा
उन्होंने पहले से तय किया था | उसी तरीके से पीठ के पीछे हाथ में गौरैया को रखकर
उन्होंने पहला प्रश्न पूछा – “ हमारे हाथ में क्या है ? ”
उस वृद्ध आदमी ने तुरंत जवाब दिया –“ पक्षी है |
”
जवाब सुनकर उन्हें कोई आश्चर्य नहीं हुआ |
उन्होंने दूसरा प्रश्न पूछा –“ कौन सा पक्षी है ? ”
उस आदमी ने फिर तुरंत जवाब दिया – “ गौरैया है |
”
इस बार भी जवाब सुनकार वे दोनों चकित नहीं हुए
क्योंकि उन्हें पूछना था तीसरा प्रश्न और उसी प्रश्न का उत्तर भी सुनना था |
फिर उन्होंने पूछा – “ हमारे हाथ की यह चिड़िया
मरी हुई है या जिन्दा है ? ”
पहले दो प्रश्नों के तुरंत उत्तर देने वाला यह
वृद्ध आदमी बहुत अनुभवी था | इस बार सोचने के लिए थोड़ी देर रुका फिर बोला – “ वह
तुम्हारे हाथ में है | ”
उस वृद्ध आदमी का जवाब बिलकुल सही था | उसे
मालूम था कि चिड़िया को मारना या जीवित रखना उनके ही हाथ में था |
अब जब हमें यह पता चल गया है कि जीवन में सफलता
या असफलता , हार या जीत ,अमीर और गरीब होना हमारे हाथ में ही है तो फिर हर
सकारात्मक चीज के लिए क्यों न प्रयास किया जाए |
अपने लक्ष्यों को पाने के लिए हमारे अन्दर एक
दीवानगी होनी चाहिए |
2 . लक्ष्यों को पाने के लिए पागल होने की ज़रूरत है
|
एक बार एक युवा लड़का , एक दार्शनिक के पास आया
और बोला – “ मुझे अमीर बनना है , क्या आप इसमें मेरी सहायता कर सकते हैं ? ”
उस लड़के की बात सुनकर वह दार्शनिक बोला – “ हाँ
, मैं तुम्हारी सहायता कर सकता हूँ | लेकिन क्या तुम सचमुच आमिर होना चाहते हो ? ”
उस लड़के ने जवाब दिया – “ हाँ , बिलकुल इसीलिए
तो मैं आपके पास आया हूँ | ”
लड़के के जवाब से दार्शनिक संतुष्ट नहीं हुआ | उस
दार्शनिक ने उस लड़के से फिर पूछा – “ क्या तुम्हारे अन्दर अमीर होने की अत्यंत
तीव्र इच्छा है ? ”
वह लड़का उत्साह से बोला – “ बिलकुल है , नहीं तो
मैं आपके पास क्यों आता ? ”
दूसरी बार भी वही जवाब सुनकर वह दार्शनिक नहीं
रुका | उसने तीसरी बार पूछा – “ क्या अमीर होने की तुम्हारी अत्यंत तीव्र इच्छा है
? ”
तीसरी बार भी वह लड़का पूरे उत्साह के साथ बोला-
“ हाँ , है | तीव्र इच्छा के बिना मेरे यहाँ आने का कोई सवाल ही नहीं था | ”
लड़के का जवाब सुनने के बाद वह दार्शनिक बड़ी
शांति के साथ बोला – “ तो फिर मेरे पीछे आओ |
”
फिर वह दार्शनिक आगे -आगे और वह लड़का उसके पीछे
– पीछे चलने लगा | इस तरह वह दार्शनिक उस लड़के को लेकर एक नदी के पास पहुँच गया और
उस लड़के को नदी के बीच में ले गया |
जब वे नदी की बीच धारा में खड़े थे तब उस
दार्शनिक ने उस लड़के का सिर पकड़ कर उसे पानी में डुबो दिया लड़के ने कोई विरोध नहीं
किया लेकिन वह बिना साँस लिए पानी में कितनी देर रह सकता था | कुछ सेकंड के बाद ही
वह लड़का अपना सिर पानी से बाहर निकालने की कोशिश करने लगा | लेकिन जैसे ही उस लड़के
ने अपना सिर पानी से बाहर निकालने की कोशिश की दार्शनिक ने उसका सिर कसकर पकड़ा और
नीचे दबाना शुरू किया | इस तरह कुछ पल चलता रहा लड़का अपना सिर पानी के बाहर लाने
की कोशिश कर रहा था मगर वह दार्शनिक उसका सिर ऊपर नहीं आने देता था |
लेकिन ज्यादा देर नहीं लगी | दार्शनिक उसे दबा
रहा था लेकिन , वह लड़का अपना सिर बाहर ले ही आया |
फिर वह दार्शनिक बोला – “ अब मेरे पीछे आओ | ”
वे दोनों नदी से बाहर निकले | लड़का घबराया हुआ
था | वह सोच रहा था कि – कहाँ आकर फँस गया हूँ |
दार्शनिक उस लड़के को अपने घर ले गया और बैठने के
बाद बोला – “ ध्यान से सुनो , तुम्हें अमीर बनना है तो तुम जरुर अमीर बन सकते हो क्योंकि
आदमी ही अमीर होते हैं | मैं तुम्हारा मार्गदर्शन करने के लिए तैयार हूँ | तुम
मेरे पास कल से आ सकते हो ,लेकिन जब मैंने तिम्हारे सिर को पानी में डुबाया था और
उस समाया पानी से बाहर सिर निकालने की तुम्हारी जितनी तीव्र इच्छा थी , उतनी ही
तीव्र इच्छा अमीर बनने की हो तभी आना | वरना तुम्हारा आना बेकार होगा और मेरे
द्वारा किये गए मार्ग दर्शन का भी कोई मतलब नहीं होगा | ”
दार्शनिक की बात सुनकर वह लड़का वहाँ से चला गया
| बाद में वह लड़का उस दार्शनिक के पास आया या नहीं यह मुझे पता नहीं है | लेकिन
अमीर होने के लिए किस बात की जरुरत है |
यह हमारी समझ में आ गया है | अमीर होने के लिए या कोई भी चीज प्राप्त करने
के लिए सिर्फ इच्छा की ही नहीं बल्कि तीव्र इच्छा की जरुरत है | इच्छा तो किसी के
पास भी हो सकती है |
यदि हमारे अन्दर एक बार तीव्र इच्छा हो जाये तो
निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचना निश्चित हो जाता है |
इसी बात को दूसरे विचारक ने
कुछ अलग प्रकार से व्यक्त किया है – किसी इच्छा को तीव्र करने से पहले , किसी बात
के लिए पागल बनने से पहले यह तय कर लेना चाहिए कि वह चीज सचमुच हमें चाहिए या नहीं
|
एक बार नहीं बल्कि सौ बार सोच लेना चाहिए क्योंकि मनुष्य एक
बार किसी चीज के लिए पागल हो जाता है तो वह चीज उसे मिले बिना नहीं रह सकती है |
बाद में विचार बदलने से भी कोई फायदा नहीं होगा |
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