संत नामदेव
संत नामदेव
एक बार एक जिज्ञासु
युवक ने संत नामदेव से पूछा ‘’ ईश्वर की प्राप्ति कहाँ हो सकती है ‘’ ? संत नामदेव ने कहा ‘’ सायंकाल मेरे साथ चलना मैं तुम्हें
ईश्वर का प्रत्यक्ष दर्शन करा दूंगा | युवक उत्सुकता पूर्वक शाम होने की प्रतीक्षा करने लगा शाम को संत नामदेव उसे एक
छोटी बस्ती में लेकर गए | वहाँ उसे एक वृद्ध व्यक्ति घर में लाकर खड़ा कर दिया | घर
कअन्दर टूटी खाट पर एक बोरा बिछाये एक दस वर्ष का बालक लेटा हुआ था | वह ‘ क्षय रोग ’ से ग्रस्त था और बहुत कमजोर हो
गया था | संत नामदेव ने प्रेम पूर्वक
उसका हाथ – मूहँ साफ़ किया फिर स्नेह पूर्वक दवा पिलायी और दुसरे दिन आने का
आश्वासन देकर लौट गए |
उस युवक को यह समझ आ
गया था कि पीड़ित मानवता की सेवा ही सच्ची ईश्वर आराधना है | ईश्वर को पाने का
मार्ग मानवता की सेवा है |
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