बुद्ध और सेठ
एक बार एक सेठ भगवान बुद्ध के पास आया और बोला
‘’ भगवान मैं आत्म ज्ञान प्राप्त करना चाहता हूँ | मुझे क्या करना चाहिए ? ” यह सुन कर भगवान बुद्ध ने कहा –
‘’ कल मैं स्वयं तुम्हारे घर आकर तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दूंगा | बुद्ध के वचन
सुनकर , वह सेठ अपने घर लौट गया | भगवान बुद्ध मेरे घर स्वयं आयेंगे , इस बात से उत्साहित
होकर सेठ ने भगवान बुद्ध के लिए अच्छी खीर बनवायी | दुसरे दिन भगवान बुद्ध के आने के बाद उस सेठ ने
कहा – ‘’ प्रभु आपके लिए खीर बनवायी है | कृपया स्वीकार करें | ” बुद्ध ने अपना
भिक्षा पात्र आगे किया | सेठ जैसे ही खीर देने के लिए आगे बढ़ा , उसने देखा कि
भिक्षा पात्र गंदगी से भरा हुआ है | वह बोला – “ प्रभु ! यह पात्र तो गंदगी से भरा
हुआ है | इसमें खीर देने से सारी खीर बेकार हो जायेगी | इसमे खीर देने से पहले ,
इस पात्र को स्वच्छ करना पड़ेगा | ” बुद्ध
ने गंभीर स्वर में कहा – ‘’ वत्स तुम्हारे कल के प्रश्न का यही उत्तर है | आत्म ज्ञान
प्राप्त करने के लिए सबसे पहले अपने अन्दर और बाहर की गंदगी कापरिशोधन करो | आत्म
ज्ञान जैसी महान उपलब्धि पात्रता विकसित होने के बाद ही प्राप्त हो सकती है | ”
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