बुद्ध और अत्याचारी राजकुमार


बुद्ध और अत्याचारी राजकुमार
एक राजकुमार बहुत अत्याचारी था | राजा ने उसे सुधारने की बहुत कोशिश की , मगर वह नहीं सुधरा | यह जानकर बुद्ध स्वयं उसके पास गए | बुद्ध उस राजकुमार को नीम के एक पौधे के पास ले गए और बोले – “ राजकुमार , इस पौधे का एक  
पत्ता चखकर बताओ कि यह कैसा है ? उस राजकुमार ने पत्ता तोड़कर चखा | उसका मुंह कड़वाहट से भर गया | उसे तुरंत थूककर , उसने नीम के उस पौधे को जड़ से उखाड़ कर फेंक दिया |
बुद्ध ने पूछा – ‘’ राजकुमार ! तुमने यह क्या किया ? ’’ उस राजकुमार ने उत्तर दिया – ‘’ यह पौधा अभी से ही इतना कड़वा है , बड़ा वृक्ष होने के बाद तो यह पूरा विषैला हो जायेगा | इससे पहले कि यह  विषैला  पेड़ बन जाये , इसे जड़ से उखाड़ फेंकना ही उचित है | ” बुद्ध ने गंभीर वाणी में कहा – ‘’ राजकुमार ! तुम्हारे कटु व्यवहार से जनता पीड़ित है , यदि जनता तुम्हारे साथ भी ऐसा ही व्यवहार करेगी तो तुम्हारी क्या दशा होगी ? यदि तुम फलना -फूलना चाहते हो तो उदार ,दयावान और लोकप्रिय बनो | ”
उसी दिन से राजकुमार ने बुराई की राह छोड़ भलाई का मार्ग अपना लिया |


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